हाईकोर्ट के एक हालिया फैसले से गौतमबुद्ध नगर के भूमाफियाओं को राहत मिली है। साल 2020 में जिला प्रशासन ने डूब क्षेत्र में जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी थी, लेकिन अब हाईकोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया है। इसके बाद डूब क्षेत्र में जमीन की रजिस्ट्री दोबारा शुरू हो गई है, जिसका सीधा लाभ भूमाफियाओं को मिल रहा है।
भूमाफिया ने पहले ही इन क्षेत्रों में हजारों अवैध प्लॉट काट रखे थे, जो अब बिना किसी बाधा के रजिस्ट्री हो रहे हैं। कृषि भूमि को छोटे-छोटे 50-100 मीटर के प्लॉट में बांटकर इनकी रजिस्ट्री करवाई जा रही है। इससे दलालों की गतिविधियां भी बढ़ गई हैं और रजिस्ट्री दफ्तरों में लंबी कतारें देखी जा रही हैं।
2020 में रजिस्ट्री पर लगा था प्रतिबंध
2020 में जिला प्रशासन ने एक आपदा प्रबंधन बैठक में डूब क्षेत्र में हो रहे अवैध निर्माण पर रोक लगाने का बड़ा निर्णय लिया था। इस फैसले के तहत, डूब क्षेत्र की कृषि भूमि की रजिस्ट्री पर प्रतिबंध लगाया गया था और किसी भी भूमि की रजिस्ट्री से पहले संबंधित प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) लेना जरूरी कर दिया गया था।
इसके बाद, जुलाई 2024 में एक नई प्रक्रिया लागू की गई, जिसमें रजिस्ट्री के लिए एडीएम के पास आवेदन करना होता था। अगर 30 दिनों के भीतर रिपोर्ट नहीं आती, तो आवेदन रद्द माना जाता था। स्वीकृति मिलने के बाद, तहसील और सिंचाई विभाग द्वारा सत्यापन किया जाता था।
हाईकोर्ट के फैसले से प्रशासन को झटका
डूब क्षेत्र में लगी रजिस्ट्री पर इस रोक के खिलाफ कई लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन के फैसले को खारिज कर दिया, जिससे अब डूब क्षेत्र में जमीन की रजिस्ट्री फिर से शुरू हो गई है। रजिस्ट्री दफ्तरों में बड़ी संख्या में लोग अपनी जमीन की रजिस्ट्री करवाने के लिए लाइन में खड़े हैं।
भूमाफियाओं की खुशी
डूब क्षेत्र में जमीन की रजिस्ट्री की फिर से शुरुआत होते ही भूमाफियाओं में उत्साह है। कुछ लोगों का कहना है कि यह फैसला सीधे तौर पर भूमाफियाओं को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से लिया गया है। यमुना और हिंडन नदी के किनारे बसे ये डूब क्षेत्र हाल ही में बाढ़ से प्रभावित हुए थे, और अब वहां रजिस्ट्री का काम शुरू हो चुका है। भूमाफिया खुद पहुंचकर उन जमीनों की रजिस्ट्री करवा रहे हैं, जिन्हें उन्होंने पहले ही बेचा था।