ग्रेटर नोएडा के हिंडन नदी के डूब क्षेत्र में ग्राम तुगलपुर हल्द्वानी में हुए अवैध निर्माण के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 29 जुलाई 2024 को एक आदेश पारित करते हुए, ग्रेटर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (GNIDA) के अधिकारियों की लापरवाही की जांच के लिए एक समिति का गठन किया। इस समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट मुख्य कार्यपालक अधिकारी को सौंप दी है और मामले में तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया है।
अवैध निर्माण की अनुमति कैसे मिली?
न्यायालय में दाखिल याचिका में यह सवाल उठाया गया कि जब यह क्षेत्र निर्माण के लिए प्रतिबंधित है, तो अवैध निर्माण कैसे जारी रहा। न्यायालय ने GNIDA के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को निर्देश दिया है कि वे शपथपत्र दाखिल कर स्पष्ट करें कि किन परिस्थितियों में यह निर्माण हुआ और इसमें कौन-कौन से अधिकारी जिम्मेदार हैं। इसके साथ ही यह भी पूछा गया है कि अब तक इस मामले में क्या कदम उठाए गए हैं।
जांच समिति का गठन
न्यायालय के आदेश के अनुसार, GNIDA के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी की अध्यक्षता में एक छह सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया। इसमें चार अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी और एक विशिष्ट कार्याधिकारी शामिल हैं। समिति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि मामले की पूरी तरह से जांच हो और दोषी अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए। समिति को यह भी देखना था कि निर्माण कार्य कब शुरू हुआ और इसे अनुमति किसके आदेश पर दी गई।
जिम्मेदार अधिकारियों का स्थानांतरण
जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया कि कई अधिकारियों का हाल ही में स्थानांतरण किया गया है, जिनमें श्रीपाल सिंह, रमेश चंद्र, एके सक्सेना, प्रवीण सलालिया, यशपाल सिंह, ब्रह्म सिंह, जितेंद्र कुमार, वैभव नागर, प्रभात शंकर और पीपी मिश्रा शामिल हैं। इन सभी अधिकारियों की भूमिका की जांच की गई है, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि उनकी संलिप्तता किस हद तक थी। राज्य सरकार को इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए रिपोर्ट भेजी गई है।
अवैध निर्माण पर अस्थायी रोक
न्यायालय ने आदेश दिया है कि जब तक इस मामले की सुनवाई पूरी नहीं होती, तब तक विवादित क्षेत्र में कोई भी नया निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा। यह आदेश 12 अगस्त 2024 को जारी किया गया था और तब से निर्माण कार्य पर रोक लगी हुई है।
अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई
जांच समिति द्वारा की गई जांच के आधार पर, जिन अधिकारियों और कर्मचारियों की लापरवाही पाई गई है, उनके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। GNIDA को यह निर्देश दिया गया है कि वह पूरी प्रक्रिया की निगरानी करे और जिम्मेदार अधिकारियों पर समयबद्ध तरीके से कार्रवाई सुनिश्चित करे।
यह मामला प्रशासनिक लापरवाही का एक गंभीर उदाहरण है, जो यह दिखाता है कि अवैध निर्माण तब तक जारी रह सकते हैं जब तक न्यायालय हस्तक्षेप न करे। अब GNIDA पर दबाव है कि वह दोषियों के खिलाफ जल्द से जल्द सख्त कदम उठाए।