जमानत मिलने के बाद बुधवार को जेल से रिहा होने वाले 29 किसानों को नारेबाजी और हंगामे के कारण पुलिस ने दोबारा गिरफ्तार कर 14 दिनों के लिए जेल भेज दिया।
38 किसानों को मिली थी रिहाई
बुधवार सुबह न्यायालय के आदेश पर लुक्सर जेल में बंद 38 किसानों को रिहा किया गया। इनमें से नौ किसान अपने घर लौट गए, जबकि बाकी ने जेल के बाहर नारेबाजी शुरू कर दी। किसानों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पहले से ही बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात था।
जेल के बाहर उमड़ी भीड़
किसानों के जेल से रिहा होने की सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में लोग जेल के बाहर जमा हो गए। जैसे ही किसान बाहर आए, उन्होंने हंगामा और नारेबाजी शुरू कर दी। पुलिस ने स्थिति संभालने के लिए बार-बार चेतावनी दी, लेकिन जब हंगामा जारी रहा, तो पुलिस ने किसान नेता सुनील फौजी, सुखबीर खलीफा और रूपेश वर्मा सहित 29 किसानों को दोबारा गिरफ्तार कर लिया।
न्यायिक हिरासत में भेजे गए किसान
गिरफ्तार किसानों को दोबारा 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस ने बताया कि नारेबाजी और हंगामे के कारण यह कार्रवाई की गई। हालांकि, नौ किसान जो शांत थे, उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया। पुलिस ने अन्य किसानों को सख्त चेतावनी दी कि अगर उन्होंने कहीं भी हंगामा किया, तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
पूरा मामला क्या है?
संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसानों ने अपनी मांगों को लेकर नवंबर से प्रदर्शन शुरू किया था। जिला प्रशासन और प्राधिकरण के अधिकारियों ने किसानों से बातचीत कर उनकी मांगों पर विचार के लिए सात दिन का समय मांगा था और धरना-प्रदर्शन रोकने की अपील की थी।
इसके बावजूद तीन दिसंबर से पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं और आंदोलनकारियों को अलग-अलग स्थानों से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।