तलाक… इस शब्द को सुनते ही मन में पीड़ा, अकेलापन और उदासी जैसी भावनाएं उत्पन्न होने लगती हैं। आमतौर पर समाज में यह शब्द तब सुनाई देता है जब पति-पत्नी के रिश्ते में इतनी खटास आ जाती है कि साथ रहना लगभग असंभव हो जाता है।
हालांकि, यीडा सिटी में कुछ दंपति अपने सपनों का घर पाने के लिए एक-दूसरे से अलग हो रहे हैं। यहां पर प्लॉट हासिल करने के लिए पति-पत्नी तलाक को एक लाभकारी साधन के रूप में उपयोग कर रहे हैं।
नियम के अनुसार, पति-पत्नी में से केवल एक व्यक्ति को ही प्लॉट का आवंटन हो सकता है, लेकिन कुछ लोग तलाक लेकर इस नियम को तोड़ रहे हैं ताकि दोनों को प्लॉट मिल सके और इसे बेचकर अधिक मुनाफा कमाया जा सके।
यमुना अथॉरिटी में जब ऐसे कई मामले सामने आए, तो इसकी जांच शुरू की गई। जांच में पता चला कि 2015 से अब तक इंडस्ट्रियल कैटेगरी के तहत 47 मामले ऐसे सामने आए हैं, जिनमें पति-पत्नी ने तलाक से संबंधित दस्तावेज पेश कर दोनों प्लॉट अपने पास सुरक्षित रखे।
नियम के मुताबिक, यदि ड्रॉ में पति और पत्नी दोनों के नाम आ जाते हैं, तो एक का प्लॉट स्वतः निरस्त हो जाना चाहिए। लेकिन कुछ लोगों ने तलाक का सहारा लेकर दोनों प्लॉट हासिल कर लिए।
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि इन 47 मामलों में 32 प्लॉट एक ही परिवार या उनके करीबी रिश्तेदारों को आवंटित किए गए हैं। यह बात ड्रॉ प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े करती है।
अधिकारियों का कहना है कि जब प्लॉट सरेंडर करने के लिए संपर्क किया गया, तो अधिकांश लोगों ने तलाक के कागजात या अलग-अलग कंपनी और फर्म के दस्तावेज पेश कर दिए, जिससे यह साबित हो सके कि वे अलग हैं। 12 लोगों ने सीधे तलाक के कागजात ही प्रस्तुत किए।
यमुना अथॉरिटी के सीईओ अरुणवीर सिंह ने जानकारी दी कि इन 47 में से अधिकतर प्लॉट 2015 में जारी की गई इंडस्ट्रियल प्लॉट स्कीम के तहत आवंटित हुए हैं। उन्होंने बताया कि इस पूरे मामले को आगामी बोर्ड मीटिंग में रखा जाएगा, जिसके बाद सभी मामलों की जांच की जाएगी।
जिन मामलों में फर्जी तलाक पाया जाएगा, उनका प्लॉट आवंटन रद्द किया जाएगा। इसके साथ ही आवासीय स्कीम के तहत आवंटित प्लॉटों की भी जांच की जाएगी, क्योंकि वहां इस तरह का फर्जीवाड़ा और भी व्यापक हो सकता है।